भारतीय क्रिकेट में सुरक्षा अक्सर एक भ्रम जैसी होती है। भरोसा जीतने के बाद भी खिलाड़ियों को हर पारी में यह साबित करना पड़ता है कि वे उस भरोसे के लायक हैं। विशेषकर जब टीम संक्रमण के दौर से गुजर रही हो, तो ज़िम्मेदारियाँ स्थिर नहीं रहतीं।
इसी अस्थिरता के बीच, करुण नायर को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या भारत उन्हें नंबर 3 पर बरकरार रखेगा? या साई सुदर्शन को मौका देगा?
🎯 एजबेस्टन का संदेश: नायर को मिला वर्तमान का भरोसा
लीड्स में नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करने वाले नायर को बर्मिंघम टेस्ट में नंबर 3 पर भेजा गया, और सुदर्शन की जगह वॉशिंगटन सुंदर को टीम में लिया गया — यह स्पष्ट संदेश था कि नायर को फिलहाल टीम में प्राथमिकता दी जा रही है।
📉 आंकड़ों से परे नज़रिए की ज़रूरत
नायर के स्कोर: 31, 26, 40, 14
– ये संख्याएँ शानदार नहीं लगतीं, लेकिन कहानियाँ छुपी हैं।
हर बार वे तब बल्लेबाज़ी करने आए जब भारत ने पावरप्ले में जल्दी विकेट खो दिया। उन्होंने:
हालांकि बार-बार एक क्षणिक चूक ने उनकी पारी को अधूरा छोड़ दिया।
🎯 इंग्लैंड की रणनीति और तकनीकी कमज़ोरी
इंग्लैंड की गेंदबाज़ी रणनीति बताती है कि वे शॉर्ट ऑफ गुडलेंथ गेंदों से उन्हें फँसाना चाहते हैं, जहाँ नायर का एंगल्ड डिफेंस उन्हें असहज करता है।
लॉर्ड्स में ब्रायडन कार्स की गेंद पर छोड़ी गई गेंद, जो सीधे घुटने पर लगी, सिर्फ़ एक आउट नहीं था – वह उस आत्मविश्वास पर भी चोट थी जिसे वे मैदान पर लेकर आए थे।
🔁 विकल्पों की लाइन में सुदर्शन
सुदर्शन के पास:
लेकिन अनुभव अभी भी एक बड़ा फ़र्क ला सकता है — और नायर ने उसी अनुभव से टीम में वापसी की है।
🧠 चयन का मनोविज्ञान
शुबमन गिल ने कप्तान बनने के बाद कहा था – "हम खिलाड़ियों को सुरक्षा देना चाहते हैं।"
अगर सिर्फ़ तीन टेस्ट के बाद नायर को बाहर किया जाए, तो वह संदेश कमज़ोर होगा।
कोचिंग स्टाफ का भी मत है कि –
"उनका टेम्पो और रिदम अच्छा है, बस थोड़े और रन चाहिए।"
यह सावधानी है, चेतावनी नहीं। यह संकेत है कि टीम अभी भी उनके
🌍 वैश्विक तस्वीर
नंबर 3 की अस्थिरता सिर्फ भारत की कहानी नहीं है:
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ऑस्ट्रेलिया ने मार्नस लाबुशेन को हटाकर कैमरन ग्रीन को ऊपर भेजा।
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दक्षिण अफ्रीका ने वियान मुल्डर को WTC फाइनल में नंबर 3 पर भेजा।
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इंग्लैंड में ओली पोप की एक असफल पारी पर जैकब बेथेल के नाम की चर्चा शुरू हो गई।
📈 एशिया में चमकते उदाहरण
नंबर 3 की भूमिका एशियाई क्रिकेट में अब भी सम्मानित है:
🔚 निष्कर्ष: यह समय है नायर का साथ देने का
भारत हमेशा से नंबर 3 को एक स्तंभ की तरह देखता रहा है – पहले द्रविड़, फिर पुजारा।
अब नायर के पास यह स्थान फिर से संवारने का मौका है।
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वह 33 के हैं, पर तकनीक में ठहराव है।
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अनुभव है, और घरेलू क्रिकेट से लेकर वापसी तक का संघर्ष उन्हें सुदृढ़ बनाता है।
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ऊपर KL राहुल–जैसवाल की जोड़ी जम गई है, और गिल नंबर 4 पर सहज हैं।
ऐसे में श्रृंखला के बीच फेरबदल क्यों करें?
सुदर्शन का समय आएगा।
पर यह क्षण नायर का है।
सवाल सिर्फ़ चयन का नहीं है, संस्थागत विश्वास का है।