बुधवार, 18 जून 2025

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई कोच्चि टस्कर्स को 538 करोड़ रुपए देगा:

 कोर्ट का पिछला फैसला बरकरार, बैंक गारंटी न देने पर आईपीएल से हटाया गया


बीसीसीआई को आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स केरल के मालिकों को 538 करोड़ रुपए हर्जाना देना होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई की याचिका खारिज कर दी।


बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस आरआई चागला ने कहा, 'कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्योंकि मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 34 के तहत कोर्ट की भूमिका सीमित है। बीसीसीआई की चुनौती अधिनियम की धारा 34 के दायरे के खिलाफ है। हम फैसला सिर्फ इसलिए नहीं बदल सकते, क्योंकि आपको यह पसंद नहीं है।'


10 साल पहले 2015 में ट्रिब्यूनल के जस्टिस आरसी लाहोटी ने फ्रेंचाइजी के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि बीसीसीआई टीम को मुआवजे के तौर पर 538 करोड़ रुपए देगा। बीसीसीआई ने ट्रिब्यूनल के इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

2011 आईपीएल में एंट्री, एक सीजन के बाद बंद


बैंक गारंटी न चुकाने पर बीसीसीआई ने कोच्चि टस्कर्स को हटाया, मामले के 3 बिंदु


1. कोच्चि टस्कर्स केरल को 2011 में नई आईपीएल टीम के तौर पर जोड़ा गया था। शुरुआत में इस टीम का मालिकाना हक रेंडेज़वस स्पोर्ट्स वर्ल्ड (आरएसडब्लू) के पास था। बाद में इसे कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (केसीपीएल) ने अपने अधीन कर लिया। सितंबर 2011 में बीसीसीआई ने इस फ्रेंचाइजी को खत्म कर दिया।


2. फ्रेंचाइजी मालिक बीसीसीआई की बैंक गारंटी का नवीनीकरण नहीं करा सका। मालिक को 26 मार्च 2011 तक गारंटी बैंक में जमा करानी थी। बोर्ड ने करीब 6 महीने तक इंतजार किया, लेकिन 156 करोड़ रुपये की अनुबंध राशि नहीं मिली। जिसके कारण बीसीसीआई ने 19 सितंबर 2011 को अपनी वार्षिक बैठक में टीम को बर्खास्त कर दिया।


3. बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ केसीपीएल और आरएसडब्ल्यू ने 2012 में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की। 2015 में न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि बीसीसीआई ने समझौते का उल्लंघन किया है और गारंटी राशि गलत तरीके से वसूली है। न्यायाधिकरण ने कहा कि बीसीसीआई की गलती के कारण केसीपीएल को ₹384 करोड़ और आरएसडब्ल्यू को ₹153 करोड़ का नुकसान हुआ है। यानी कुल ₹538 करोड़ से अधिक का मुआवजा तय किया गया, जिसमें ब्याज और कानूनी लागत भी शामिल है।


मध्यस्थता कार्यवाही क्या है?

मध्यस्थता एक ऐसी विधि है जिसमें दो पक्ष (जैसे व्यक्ति, कंपनी या संगठन) अपने विवादों को न्यायालय के बजाय किसी तीसरे पक्ष के समक्ष सुलझाते हैं। तीसरे पक्ष को मध्यस्थ कहा जाता है। कोच्चि टस्कर्स और बीसीसीआई के बीच वित्तीय विवाद था। दोनों के बीच का विवाद मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चला गया। ट्रिब्यूनल ने कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया।


RSW ने 1555 करोड़ रुपये में खरीदी थी फ्रेंचाइजी

कोच्चि टस्कर्स आईपीएल की 9वीं फ्रेंचाइजी थी। इसे 2010 में रेंडेज़वस स्पोर्ट्स वर्ल्ड कंपनी ने 1555 करोड़ रुपये में खरीदा था। दरअसल, BCCI ने 2011 में आईपीएल टीमों की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 कर दी थी।


महेला जयवर्धने की कप्तानी वाली टीम में ब्रेंडन मैकुलम, रवींद्र जडेजा, मुथैया मुरलीधरन, आरपी सिंह और श्रीसंत जैसे स्टार खिलाड़ी थे। हालांकि, टीम 14 में से केवल 6 मैच ही जीत सकी और प्लेऑफ में नहीं पहुंच सकी, जिससे अंक तालिका में 8वें स्थान पर रही।


कोच्चि टस्कर्स के खिलाफ तेंदुलकर ने लगाया था शतक कोच्चि ने केवल एक सीजन खेला, लेकिन सचिन तेंदुलकर ने उनके खिलाफ अपने टी20 करियर का एकमात्र शतक लगाया। सचिन के शतक की बदौलत मुंबई इंडियंस ने 15 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में 182 रन बनाए थे। हालांकि, यह स्कोर टीम को जीत दिलाने के लिए काफी नहीं था, कोच्चि ने 19 ओवर में सिर्फ 2 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। मैकुलम ने मैच जिताऊ 81 रन बनाए थे।

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